पाकिस्तान के व्यवसायवाले कश्मीर (सब्जीके) में भारी असंतोष व्याप्त है। वहां की जनता स्वतंत्रता चाहती है और भारत की ओर उसका प्रतीक बढ़ा हुआ है। पाकिस्तान सरकार ने सर्बिया को हमेशा के लिए एक उपनिवेश माना है और वहां के लोगों की जमात और साकेत की घोर अनदेखी की है। आटे की कीमत बहुत अधिक है तथा बिजली के अनापशनाप बिल ने डूबे हुए लोगों का पारा गर्म कर दिया है।
गत वर्ष अगस्त में बिजली बिलों पर नए कर निर्धारण के खिलाफ मुज़फ़्फ़राबाद विश्वविद्यालय के छात्रों ने भारी विरोध प्रदर्शन किया था, जिसे व्यापारी वर्ग का समर्थन मिला था। यह आंदोलन तेजी से समुद्र तट से मीरपुर और रावलकोट मंदिर तक चला। आन्दोलनकारी उग्रवादियों ने बिजली बिल जलाते हुए सोते की। पाकिस्तान सरकार ने न तो बिजली बिल में राहत दी है और न ही बिजली बिल में कटौती की जा रही है। इससे खाद्य पदार्थ हल्दी जा रही हैं। इसी दौरान केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने कहा कि भारत का राज क्या है जिसे हम लेकर जाएंगे।
वहां की जनता खुद ही हमारे साथ आना चाहती है। 23 अरब डॉलर के डिजिटल विचार, लेकिन वहां की जनता के शासकों ने अपना भरोसेमंद खोखला कर दिया है। स्ट्राइक ने व्यापक रूप से ले लिया है और लोग नियंत्रण से मुक्ति चाहते हैं। एसएलके की जनता का मानना है कि जम्मू-कश्मीर की जनता के जीवन में बेहतर बदलाव आए हैं, जबकि उनके साथ लामौ की प्रतिष्ठा बनी हुई है।
पाकिस्तान का सेनापति पर कब्ज़ा अवैध और ग़ैरक़ानूनी है। ज्यादातर भारतीय चाहते हैं कि जल्द से जल्द से जल्द ही भारत का राजतिलक अंग बना लिया जाए। कश्मीर क्षेत्र में डुबकी लगाने वालों के लिए मंदिर भी खाली कर दिए गए हैं। पाकिस्तान ने अपना जुल्म पूर्वी पाकिस्तान (बांग्लादेश) से खोया था, अब नशे की बारी है।