नवभारत न्यूज नेटवर्क
मुंबई: 2004 में सर्वाधिक विधायक होने के बावजूद एनसीपी ने मुख्यमंत्री पद पर अपना दावा छोड़ दिया था। उस सियासी घटना को लेकर अजित आज भी नाराज रहते हैं। शिरूर की चुनावी सभा में उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा था कि यदि मैं शरद पवार (Sharad Pawar) का बेटा होता तो मुझे मौका मिला होता। लेकिन साहब का बेटा नहीं होने के कारण मुझे मौका नहीं मिला, यह कौन सा न्याय है? अजित के आरोपों को शरद पवार ने निरर्थक रोना करार दिया है शरद पवार बोले- अजित पर का रोना बेमानी है, बेटी-भतीजे (Daughter and Nephew) में मैंने कभी फर्क नहीं समझा।
पार्टी ने उन्हें बहुत कुछ दिया
शरद पवार ने रविवार को एक इंटरव्यू में कहा, अजित अपनी भावनाएं अब व्यक्त कर रहे हैं और कह रहे हैं कि मेरे साथ अन्याय हुआ है। वे कह रहे हैं मैं शरद पवार के घर में पैदा नहीं हुआ हूं। लेकिन परिवार के मुखिया के तौर पर बेटी सुप्रिया और भतीजे अजित में कभी फर्क नहीं किया। पार्टी ने अजित पवार को क्या कुछ नहीं दिया? उन्हें उपमुख्यमंत्री, मंत्री, विपक्ष के नेता जैसे विभिन्न पद दिए गए।
रोना बेमानी है
सुप्रिया सुले चार बार लोकसभा के लिए चुनी जा चुकी हैं। उनका दायरा लोकसभा तक ही सीमित था। अजित के पास विधायक दल के नेता के तौर पर राज्य के सूत्र थे। इतना सब कुछ होने के बावजूद वो कहते हैं कि मुझे पार्टी में काम करने का मौका नहीं मिला, अजित का ऐसा रोना बेमानी है।
बहुत नए थे अजित
शरद पवार ने कहा, 2004 में बहुत सोच समझकर फैसला लिया गया था। तब अजित पवार को मुख्यमंत्री पद देने का सवाल ही नहीं था। क्योंकि वे बिल्कुल नए थे। इसलिए हमने अधिक मंत्री पद और खाते लेकर मुख्यमंत्री का पद कांग्रेस के पास रखने का फैसला किया।