नागपुर जिले में शून्य से 5 वर्ष आयु वर्ग के 458 बच्चे मध्यम से तीव्र कुपोषित की श्रेणी में बताये गए हैं. इन बच्चों को ग्राम बाल विकास केन्द्र के माध्यम से एनर्जी डेन्स न्यूट्रिशन फूड देकर कुपोषण से मुक्त करने का प्रयास प्रशासन द्वारा किया जा रहा है.
नागपुर. जिले को कुपोषण मुक्त करने के लिए ‘गड़चिरोली पैटर्न’ अपनाने का दावा जिला परिषद प्रशासन व पदाधिकारियों द्वारा किया गया था. इसके लिए सरकार की योजनाओं के तहत आंगनवाड़ी बच्चों व प्रसूताओं के लिए दिये जाने वाले आहार के अतिरिक्त 15वें वित्त आयोग की निधि से विशेष आहार देने की मंशा भी व्यक्त की गई थी. कुपोषण मुक्त जिला बनाने के लिए मेयो, मेडिकल के बाल रोग विशेषज्ञ डॉक्टरों के माध्यम से जांच का नियोजन करने भी बताया गया था लेकिन जो रिपोर्ट आई उसके अनुसार, सारी उपाययोजना के दावे फेल हो गए हैं.
जिले में शून्य से 5 वर्ष आयु वर्ग के 458 बच्चे मध्यम से तीव्र कुपोषित की श्रेणी में बताये गए हैं. इन बच्चों को ग्राम बाल विकास केन्द्र के माध्यम से एनर्जी डेन्स न्यूट्रिशन फूड देकर कुपोषण से मुक्त करने का प्रयास प्रशासन द्वारा किया जा रहा लेकिन उसमें भी सफलता नहीं मिल रही है. जिले की 1951 आंगनवाड़ियों व 261 मिनी आंगनवाड़ियों में 1,12,013 बच्चे प्री-नर्सरी व नर्सरी की शिक्षा लेते हैं जिसके साथ उनका पोषण भी किया जाता है. एकात्मिक बाल विकास योजना के माध्यम से कुपोषण दूर करने के लिए विविध उपाययोजना के तहत पौष्टिक आहार दिया जाता है.
बदला गया आहार
कुछ महीने पूर्व तक बच्चों को दाल-चना आदि कड़धान्य के रूप में पोषण आहार उपलब्ध कराया जाता था लेकिन बाद में आहार बदला गया और प्रोटीन व एनर्जी युक्त आहार उपलब्ध कराए गए. मल्टीमिक्स सीरियल्स एंड प्रोटीन प्रीमिक्स फूड और एनर्जी डेन्स तुअर दाल प्रीमिक्स फूड दिये जाने लगे. बावजूद इसके जिले में मार्च में आई रिपोर्ट में बच्चों में कुपोषण बढ़ना सामने आया. 1,12,013 में से 1,03,438 बच्चों का वजन तो सामान्य है लेकिन 6,145 बच्चों का वजन कम पाया गया. इस पर भी तीव्र वजन कम की श्रेणी में 838 बच्चे हैं. मध्यम तीव्र कुपोषित के 377 और तीव्र कुपोषित 81 बच्चे पाये गए. जिला परिषद के विपक्षी सदस्यों का आरोप है कि विभागों व सत्ताधारियों का केवल खरीदी पर ही ध्यान केन्द्रित है. आंगनवाड़ियों में भी साहित्य-सामग्री खरीदी के नाम पर अनावश्यक व अतिरिक्त सामानों का भंडार बढ़ाया जा रहा है लेकिन मुख्य उद्देश्य पर ध्यान नहीं है. इसका दुष्परिणाम बच्चों के कुपोषण के रूप में सामने आ रहा है.
हिंगना में सर्वाधिक मामले
जिले के हिंगना तहसील में कुपोषित बच्चों के सर्वाधिक मामले हैं. यहां मध्यम तीव्र कुपोषित 62 और तीव्र कुपोषित बच्चों की संख्या 13 पायी गई. वहीं रामटेक में दोनों श्रेणी के कुपोषित बच्चों की कुल संख्या 53, काटोल में 32, कलमेश्वर में 20, सामवेर में 41, भिवापुर में 27, पारशिवनी में 28, नरखेड़ में 35, कुही में 23, उमरेड में में 27, नागपुर ग्रामीण में 44, मौदा में 27 और कामठी में 26 है.