ऊपर से टॉपे जाने वाले रिवर्स को लेकर भाजपा के समर्पित अपराधों में रोष है, भले ही पार्टी अनुशासन से बंधे होने के कारण उनमें से अधिकतर खामोश रहने को प्राथमिकता देते हों। जब कोई भी व्यक्ति किसी पार्टी का पूर्णकालिक कार्यकर्ता होता है, तो उसके दिल में यह सपना अवश्य होता है कि एक दिन उसे भी पूर्णकालिक बनने का अवसर मिले। लेकिन जब उनकी पार्टी के ऊपर से किसी फिल्मी सितारे, किसी मशहूर क्रिकेटर या दलबदलू दूसरी पार्टी से आने वाले नेता को ऊपर से सोनिया के रूप में ढकती है, तो वह ठगा हुआ महसूस करती है। उसे लगता है कि उसने अवसर को ज़ोरदार तरीके से छीन लिया है। यह एहसास तब भी होता है, जब दलगत समझौते के तहत उसके चुनाव क्षेत्र को अन्य पार्टी के
परायों को अभ्यर्थी दी
दलबदलुओं की अपनी नई पार्टी के टिकटों पर चुनाव से जुड़ी भारत की राजनीति में कोई नई बात नहीं है लेकिन मौजूदा आम चुनाव में जिस बड़े पैमाने पर बीजेपी यह कर रही है, वह स्थिर है। बीजेपी ने केवल अपने सहयोगी संस्थानों जैसे कांग्रेस, त्रिपुरा, झारखंड लिबरेशन मोर्चा आदि से ही आरक्षण लिया है। इनसे कुछ तो चुनाव की घोषणा होने के बाद या अपनी मूल पार्टी से टिकटें न मिलने पर बीजेपी में शामिल हो गए। तेलंगाना में जोडी के 11 शेयर्ड शेयर हैं, उनमें से 6 ऐसे ही हैं। यह सही है कि आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और दक्षिण के अन्य राज्यों (कर्नाटक को ही खत्म करें) में बीजेपी की उपस्थिति सीमित रही है, जिसे जबरन पेश किया जा सकता है, लेकिन यह बात समझ में आती है कि हरियाणा, जहां पिछले एक दशक उनकी राज्य सरकार से भी वह 10 में से 6 प्रतियोगी उम्मीदवार मैदान में उतरते हैं।
इनमें से 2 नवीन जिंदल और अशोक तंवर ने इन चुनावों की गहमा-गहमी के दौरान ही मोदी का पट्टा अपने गले में डाला है। पंजाब में भी आधे से अधिक (13 में से 7) सोम आयातित हैं। इसका एक मुख्य कारण यह है कि अधिकतर लोग अमरिंदर सिंह के साथ कांग्रेस से निकले थे और फिर अमरिंदर सिंह ने अपनी नवगठित पार्टी का विलय भाजपा में कर लिया था।
खाते में डाल दिया जाता है। यह समस्या लगभग सभी राजनीतिक विवादों में है, लेकिन इस समय भाजपा में सबसे अधिक है। मौजूदा चुनाव में भाजपा ने कुल 435 उम्मीदवार मैदान में उतारे हैं, जिनमें से 106 या लगभग 24 प्रतिशत ऐसे हैं, जो दूसरे संभावितों से ‘आयातित’ हैं। यह 106 चमत्कार 2014 के बाद भाजपा में शामिल हुए हैं और इनमें से 90 तो पिछले 5 वर्षों के दौरान उनके सदस्य बने हैं। आंध्रप्रदेश में भाजपा 6 सीटों पर चुनाव लड़ रही है, जिनमें से 5 महत्वपूर्ण सीटें हैं। इसी तरह अगले महीने में उसके 17 में से 11 उम्मीदवार यानी पार्टी के मूल सदस्य नहीं हैं। उत्तर प्रदेश में 74 में से 23 सूक्ष्म आयातित हैं। बंगाल में भी 42 में से 10 प्रमुख आयातित हैं।
यूपी में 23 आयातित सेमेस्टर
सबसे अधिक डेट्स वाला राज्य उत्तर प्रदेश है जहां पिछले एक दशक के दौरान जॉनी व डिस्ट्रिक्ट के सभी चुनावी दिग्गजों में बीजेपी की ऐसी क्या जबरदस्ती रही है कि वह अपने 74 जीरो में से 23 (31 प्रतिशत) को शेयर करके जाती है मैदान में उतरना? क्या दल-परिवर्तन समान शर्त पर किया गया था कि उन्हें असुविधाएँ मिलेंगी? यहां तक कि इस राज्य की राजनीति में भी 25 प्रतिशत हिस्सेदारी है। पिछले 5 वर्षों में जबरदस्त लिफ्टपटक हुई है, लेकिन उत्तर प्रदेश का प्रतिशत आश्चर्यजनक रूप से शामिल है।