अमिर खान को फिल्म रिलीज करवाने के लिए जोड़ना पड़ा मोदी का भाषण!

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अब कलाकार नहीं, नेताओं की ताकत का सहारा
मुंबई |
बॉलीवुड के मिस्टर परफेक्शनिस्ट आमिर खान एक बार फिर सुर्खियों में हैं, लेकिन इस बार वजह उनकी एक्टिंग या कोई रिकॉर्डतोड़ फिल्म नहीं, बल्कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भाषण है। हाल ही में अपनी नई फिल्म की रिलीज के लिए जूझ रहे आमिर खान को अचानक पीएम मोदी के एक भाषण का ज़िक्र करना पड़ा, जिससे यह चर्चा तेज हो गई कि अब फिल्मों की रिलीज़ भी राजनीति की छांव में सुरक्षित मानी जा रही है।
सूत्रों के अनुसार, आमिर खान की नई फिल्म को कुछ वितरण प्लेटफॉर्म्स और मल्टीप्लेक्स सर्किट में मनचाही जगह नहीं मिल पा रही थी। ऐसे में फिल्म की टीम ने प्रमोशन के दौरान प्रधानमंत्री मोदी के एक “वोकल फॉर लोकल” संबोधन का हवाला देते हुए फिल्म की कहानी को “भारत के मूल्यों और स्वदेशी सोच” से जोड़ दिया। इसके बाद फिल्म को न सिर्फ प्रमुख मल्टीप्लेक्स में स्लॉट मिलने लगे, बल्कि कुछ राज्यों में टैक्स में छूट देने की बात भी शुरू हो गई।
क्या अब फिल्मों की मार्केटिंग में राजनीतिक जोड़ अनिवार्य हो गया है?
इस घटनाक्रम के बाद सवाल उठने लगे हैं कि क्या अब केवल स्टार पावर और अच्छी कहानी काफी नहीं है? क्या आज के दौर में एक फिल्म को बॉक्स ऑफिस तक पहुंचाने के लिए राजनीतिक संदर्भ देना जरूरी हो गया है?
फिल्म समीक्षक आर. सिंह कहते हैं, “यह एक खतरनाक ट्रेंड है। अगर कल को हर फिल्म को किसी नेता के बयान या विचारधारा से जोड़कर ही रिलीज़ मिलती है, तो रचनात्मक स्वतंत्रता पर बड़ा असर पड़ेगा।”
वहीं, सोशल मीडिया पर भी यूजर्स आमिर खान की इस रणनीति पर तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं। कोई इसे “समय की मांग” बता रहा है, तो कुछ इसे “पब्लिसिटी स्टंट” करार दे रहे हैं।
जागरुक मुंबई न्यूज़ का विश्लेषण:
बॉलीवुड और राजनीति का रिश्ता नया नहीं है, लेकिन अब यह साफ दिखने लगा है कि फिल्में सिर्फ मनोरंजन नहीं, बल्कि एक विचारधारा के साधन के तौर पर भी पेश की जा रही हैं। आमिर खान जैसे सुपरस्टार का भी इस दौड़ में शामिल होना यह दर्शाता है कि सिनेमा अब सिर्फ सिनेमा नहीं रहा — यह एक रणनीतिक खेल बन चुका है।
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