
📰 जागरूक मुंबई न्यूज़
🖊️ संवाददाता – विशेष प्रतिनिधि,
नागपुर/अकोला:
महाराष्ट्र के अकोला जिले में एक बेहद संवेदनशील और दिल दहला देने वाला मामला सामने आया है, जिसमें 12 वर्षीय रेप पीड़िता ने 18 जून को एक सरकारी अस्पताल में बच्चे को जन्म दिया। इससे एक दिन पहले ही, 17 जून को बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर बेंच ने गर्भपात की सशर्त इजाज़त दी थी। मगर मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट के आधार पर डॉक्टरों ने तय किया कि गर्भपात करना बच्ची की जान के लिए जोखिमभरा होगा।
मेडिकल बोर्ड ने चेताया, गर्भपात से हो सकता है खतरा
बॉम्बे हाई कोर्ट ने एक विशेषज्ञ मेडिकल बोर्ड का गठन किया था, जिसमें डॉक्टरों ने बताया कि गर्भावस्था 28वें हफ्ते में है और अब गर्भपात करना नाबालिग की जान को खतरे में डाल सकता है। कोर्ट ने यह निर्णय मेडिकल विशेषज्ञों की सलाह के आधार पर ही छोड़ा था।
18 जून को हुआ नवजात का जन्म
कोर्ट की अनुमति और मेडिकल राय के बीच, 18 जून को अकोला के एक सरकारी अस्पताल में बच्ची ने एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दिया। मगर अब असली सवाल यह खड़ा हो गया है कि इस नवजात शिशु की देखभाल कौन करेगा?
परिवार ने जताई असमर्थता, फिर पहुंचे अदालत के दरवाज़े पर
पीड़िता और उसके माता-पिता ने स्पष्ट रूप से कहा है कि वे नवजात को नहीं रख सकते। बच्ची खुद मानसिक और शारीरिक रूप से इस स्थिति के लिए तैयार नहीं है, और परिवार पहले से ही भारी मानसिक और सामाजिक तनाव झेल रहा है। अब परिवार दोबारा हाई कोर्ट का रुख करने की तैयारी में है ताकि नवजात को सरकारी संरक्षण में दिया जा सके या उसे गोद देने की कानूनी प्रक्रिया शुरू हो सके।
अब आगे क्या?
नवजात के भविष्य को लेकर मामला फिर से न्यायिक प्रक्रिया के सामने है। विशेषज्ञों के अनुसार, अब यह मामला बाल कल्याण समिति (CWC), जिला प्रशासन और समाज कल्याण विभाग के सहयोग से निपटाया जाएगा। बच्चा या तो बाल देखभाल केंद्र में रहेगा या गोद देने की प्रक्रिया से गुज़रेगा।
कानून और समाज के लिए चुनौती
यह मामला न सिर्फ कानून और स्वास्थ्य तंत्र की जटिलताओं को उजागर करता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि नाबालिगों के साथ अपराध होने पर समाज और सरकार के सामने कैसी गंभीर ज़िम्मेदारियां खड़ी हो जाती हैं।
👉 जागरूक मुंबई न्यूज़ इस मामले पर पूरी नज़र बनाए हुए है। जैसे ही कोर्ट कोई अंतिम निर्णय लेती है, हम आपको सूचित करेंगे।
📌 क्या कहता है कानून?
गर्भपात कानून (Medical Termination of Pregnancy Act) में 24 सप्ताह तक की सीमा है
उससे आगे की गर्भावस्था के लिए कोर्ट और मेडिकल बोर्ड की विशेष अनुमति आवश्यक
नवजात को Juvenile Justice Act के तहत गोद देने योग्य माना जा सकता है
🧠 आपका क्या कहना है? क्या ऐसे मामलों में सरकार को नवजात की जिम्मेदारी लेनी चाहिए? अपने विचार हमें भेजें —
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