Blogमहाराष्ट्रहोम

पीओपी मूर्तियों का प्राकृतिक जल निकायों में विसर्जन नहीं होगा

बॉम्बे हाईकोर्ट सख्त: पीओपी मूर्तियों का प्राकृतिक जल निकायों में विसर्जन नहीं होगा, कृत्रिम टैंक ही विकल्प

📰 जागरूक मुंबई न्यूज़ |

📍 मुंबई विशेष रिपोर्ट 

मुंबई — बॉम्बे हाईकोर्ट ने सोमवार को स्पष्ट रूप से कहा कि प्लास्टर ऑफ पेरिस (पीओपी) से बनी मूर्तियों को अब किसी भी प्राकृतिक जल निकाय – जैसे झील, नदी या समुद्र – में विसर्जित करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि भले ही पीओपी निर्माण पर लगाए गए पूर्ण प्रतिबंध में संशोधन हुआ हो, पर विसर्जन के नियमों में कोई ढील नहीं दी जाएगी।

मुख्य न्यायाधीश आलोक अराधे और न्यायमूर्ति संदीप मार्ने की खंडपीठ ने राज्य सरकार से कहा, “आप कृत्रिम जल निकाय बनाएं और वहीं पर पीओपी मूर्तियों का विसर्जन करें। प्राकृतिक जलस्रोतों की सुरक्षा सर्वोपरि है।”

क्या है मामला?

अदालत एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के 2020 के दिशानिर्देशों को लागू करने की मांग की गई थी। ये दिशानिर्देश स्पष्ट रूप से प्राकृतिक जल निकायों में पीओपी मूर्तियों के विसर्जन को प्रतिबंधित करते हैं। सीपीसीबी ने 2021 और 2025 में भी इन्हीं नियमों की पुनः पुष्टि की है।

सीपीसीबी की ओर से वकील अभिनंदन वागयानी ने अदालत को बताया कि उनके दिशा-निर्देश “सलाहात्मक प्रकृति” के हैं, न कि कानूनी रूप से बाध्यकारी। इस पर कोर्ट ने तीखी टिप्पणी करते हुए कहा, “यह अपने अधिकार को कमजोर करने का क्लासिक मामला है।”

कारीगरों की याचिका, सरकार की स्थिति

पीओपी मूर्तियां बनाने वाले कारीगरों ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर निर्माण पर लगे प्रतिबंध को अपने मौलिक अधिकारों का उल्लंघन बताते हुए हटाने की मांग की थी। उन्होंने कहा कि आगामी गणेशोत्सव (27 अगस्त) के लिए तैयारियां शुरू हो चुकी हैं।

राज्य के महाधिवक्ता बीरेंद्र सरफ ने कोर्ट को बताया कि अधिकांश छोटी मूर्तियों का विसर्जन पहले से ही कृत्रिम टैंकों में किया जा रहा है। हालांकि, उन्होंने 20 फीट तक की बड़ी मूर्तियों के लिए “विशेष छूट” की मांग की, यह कहते हुए कि “ये अब हमारी संस्कृति का हिस्सा बन चुकी हैं।” उन्होंने यह भी जोड़ा कि अगर मंडल एक ही मूर्ति का साल-दर-साल पुनः उपयोग करें, तो राज्य इसमें कोई बाधा नहीं डालेगा।

अगला कदम: सीपीसीबी से प्रतिक्रिया और नीति निर्धारण

न्यायमूर्ति मार्ने ने पूछा कि क्या सरकार विशेष रूप से समुद्र जैसे जल निकायों में बड़े आकार की मूर्तियों के विसर्जन की अनुमति देने की दिशा में कोई ठोस नीति बना रही है। अदालत ने इस संदर्भ में राज्य को सीपीसीबी की विशेषज्ञ समिति की सिफारिशों के आधार पर अंतिम निर्णय लेने का निर्देश दिया है।

पीठ ने स्पष्ट किया:

> “पीओपी मूर्तियों का निर्माण जारी रह सकता है, लेकिन उन्हें किसी भी प्राकृतिक जल स्रोत में डुबोने की अनुमति नहीं दी जाएगी।”

🔜 अगली सुनवाई: 30 जून 2025

इस मामले पर अगली सुनवाई 30 जून को होगी, जिसमें पीओपी विसर्जन पर राज्य की नीतिगत स्थिति और सीपीसीबी की प्रतिक्रिया सामने आ सकती ह

🖋 जागरूक मुंबई न्यूज़ डेस्क

📌 Stay Informed. Stay Aware.

 

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button