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महाराष्ट्र सरकार ने पलटा पशुधन बाजार बंद करने का आदेश

महाराष्ट्र सरकार ने पलटा पशुधन बाजार बंद करने का आदेश, बकरी ईद के मद्देनज़र बड़ा फैसला

मुंबई, 3 जून 2025: बकरी ईद की तैयारियों के बीच महाराष्ट्र सरकार ने राज्य पशु कल्याण आयोग द्वारा जारी किए गए विवादास्पद आदेश को वापस ले लिया है, जिसमें 3 जून से 8 जून तक सभी पशुधन बाजारों को बंद करने का निर्देश दिया गया था। यह निर्णय सोमवार को मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के साथ मुस्लिम समुदाय के नेताओं की एक अहम बैठक के बाद लिया गया।

बैठक में शामिल मुस्लिम विधायकों और प्रतिनिधियों ने कहा कि मुख्यमंत्री ने उन्हें आश्वस्त किया कि राज्य सरकार बकरी ईद के अवसर पर परंपरागत धार्मिक प्रथाओं में कोई बाधा नहीं आने देगी और कानून-व्यवस्था को बनाए रखने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।

देवनार बूचड़खाने को उन्नत करने की मंजूरी

सरकार ने मुंबई के देवनार बूचड़खाने को आधुनिक बनाने की योजना को भी मंजूरी दी है। यह बूचड़खाना पिछले 54 वर्षों से कार्यरत है और बकरी ईद जैसे बड़े धार्मिक आयोजनों के दौरान इसकी भूमिका अहम होती है। विधायकों ने सरकार को सूचित किया कि अकेला देवनार बूचड़खाना त्योहार की मांगों को पूरा करने में सक्षम नहीं है, इसलिए अतिरिक्त सुविधाओं की आवश्यकता है।

एनओसी प्रक्रिया को लेकर मांग

विधायकों ने बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) से भी अनुरोध किया कि आवासीय समितियों में बकरी वध के लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) जारी करने की प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी और सरल बनाया जाए। समाजवादी पार्टी के विधायक रायस शेख ने बताया कि सरकार ने उनकी चिंताओं को सकारात्मक रूप से लिया है।

गोकशी के नाम पर हिंसा पर सख्ती की मांग

शेख ने मुख्यमंत्री से अपील की कि वे उन असामाजिक तत्वों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करें जो गाय संरक्षण के नाम पर गैर-गोजातीय जानवरों के परिवहन में बाधा डालते हैं, चालकों पर हमला करते हैं और कानून व्यवस्था को नुकसान पहुंचाते हैं।

देवनार में अव्यवस्था पर नाराज़गी

इसी बीच देवनार बूचड़खाने में ट्रकों की लंबी कतारों और मृत बकरियों के अनुचित प्रबंधन को लेकर स्थानीय लोगों में नाराज़गी देखी जा रही है। प्रशासन से मांग की जा रही है कि वह व्यवस्था में सुधार करे ताकि धार्मिक अनुष्ठान शांति और सम्मान के साथ संपन्न हो सकें।

यह फैसला बकरी ईद 2025 के शांतिपूर्ण और सुव्यवस्थित आयोजन की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है, जो परंपरा और कानून दोनों का सम्मान करता है।

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