महाराष्ट्रहोम

हमें हिंदी भाषा या हिंदी भाषी लोगों से कोई आपत्ति नहीं है

हिंदी थोपने के खिलाफ ठाकरे बंधुओं का मोर्चा, 6 और 7 जुलाई को आंदोलन की तैयारी

📰 जागरूक मुंबई — 

मुंबई: महाराष्ट्र में इन दिनों भाषा के मुद्दे पर सियासी भूचाल आ गया है। राज्य की स्कूलों में हिंदी को तीसरी भाषा के रूप में अनिवार्य किए जाने के सरकार के फैसले ने नया विवाद खड़ा कर दिया है। इस फैसले के खिलाफ शिवसेना (यूबीटी) और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) ने कड़ा रुख अपनाया है।

6 जुलाई को राज ठाकरे का मार्च, 7 जुलाई को उद्धव ठाकरे का आंदोलन

मनसे प्रमुख राज ठाकरे ने 6 जुलाई को मुंबई में विशाल मार्च निकालने का ऐलान किया है। वहीं उद्धव ठाकरे की शिवसेना (यूबीटी) ने 7 जुलाई को आज़ाद मैदान में जोरदार आंदोलन की घोषणा की है।

उद्धव ठाकरे ने सरकार पर हमला बोलते हुए कहा,

> “हमें हिंदी भाषा या हिंदी भाषी लोगों से कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन किसी भी भाषा को जबरन थोपना स्वीकार नहीं किया जाएगा।”

उन्होंने कहा कि यह महाराष्ट्र की अस्मिता और मातृभाषा मराठी की अवहेलना है। इसी मुद्दे को लेकर उनकी पार्टी की व्यंग्य पत्रिका ‘मार्मिक’ ने हाल ही में देवेंद्र फडणवीस का एक कटाक्षपूर्ण कार्टून कवर पेज पर प्रकाशित किया था।

ठाकरे ने राज्य सरकार को साफ अल्टीमेटम देते हुए चेताया कि यदि यह फैसला वापस नहीं लिया गया तो राज्यव्यापी आंदोलन तेज होगा। वहीं राज ठाकरे पहले से ही इस मुद्दे को लेकर सरकार के विरोध में मोर्चा खोले हुए हैं।

इस बीच केंद्रीय मंत्री रामदास आठवले ने कहा कि,

महाराष्ट्र में हिंदी भाषा को सम्मान मिलना चाहिए। यह राष्ट्रभाषा है और इसे सिखाया जाना गलत नहीं है।

यह बयान राजनीतिक तकरार को और तीखा करने वाला माना जा रहा है। भाषा की अस्मिता बनाम राष्ट्रभाषा के सम्मान की यह लड़ाई महाराष्ट्र में एक बार फिर राजनीति की धुरी बन गई है। आने वाले दिन तय करेंगे कि यह बहस सुलझेगी या और उग्र रूप लेगा ।

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