100 किलोमीटर की जद्दोजहद
ट्रैफिक जाम की कैद में जिंदगी हारी — घोड़बंदर रोड ने छीन ली एक और जान

मुंबई | जागरूक मुंबई — देश की आर्थिक राजधानी में ट्रैफिक जाम अब सिर्फ परेशानी नहीं, बल्कि जिंदगी के लिए खतरा बन चुका है। ठाणे-घोड़बंदर हाईवे पर गड्ढों और जाम के चलते 49 वर्षीय छाया पुरब सापले की जान चली गई। पालघर के मधुकर नगर, सफले की रहने वाली छाया पुरब 31 जुलाई को अपने घर के पास एक पेड़ की भारी टहनी गिरने से गंभीर रूप से घायल हो गईं। पसलियों, कंधों और सिर में गंभीर चोटों के बाद उन्हें मुंबई के हिंदुजा अस्पताल रेफर किया गया, लेकिन रास्ता ही उनकी जिंदगी का सबसे बड़ा दुश्मन बन गया।
100 किलोमीटर की जद्दोजहद
दोपहर 3 बजे एंबुलेंस पालघर से रवाना हुई। सामान्य हालात में यह दूरी ढाई घंटे में तय हो जाती, लेकिन मुंबई-अहमदाबाद एक्सप्रेसवे पर भीषण ट्रैफिक ने एंबुलेंस को घंटों रोक दिया। शाम 6 बजे तक सफर का आधा रास्ता भी पूरा नहीं हो पाया। समय पर इलाज न मिलना पड़ा भारी एनेस्थीसिया का असर खत्म होते ही छाया असहनीय दर्द से तड़पने लगीं। स्थिति बिगड़ने पर एंबुलेंस मीरा रोड के ऑर्बिट अस्पताल पहुंची, जो हिंदुजा से 30 किलोमीटर पहले था। मगर तब तक देर हो चुकी थी—डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
सवाल जो उठने जरूरी हैं
क्या गड्ढों और ट्रैफिक की वजह से जान गंवाना हमारी नियति बन गया है?
क्यों पालघर जैसे बड़े क्षेत्र में ट्रॉमा सेंटर नहीं है?
कब तक मरीज ट्रैफिक जाम में दम तोड़ते रहेंगे?
छाया पुरब की मौत सिर्फ एक हादसा नहीं, बल्कि मुंबई और महाराष्ट्र के प्रशासन के लिए चेतावनी है—सड़कें और ट्रैफिक सिर्फ वाहनों के लिए नहीं, जिंदगी बचाने के लिए भी सुधरनी चाहिए।




