कुत्ते के काटने के तीन महीने बाद 22 वर्षीय युवक की दर्दनाक मौत
परिवार ने नगर निगम पर लगाए लापरवाही के आरोप

रेबीज़ का कहर: कुत्ते के काटने के तीन महीने बाद 22 वर्षीय युवक की दर्दनाक मौत, परिवार ने नगर निगम पर लगाए लापरवाही के आरोप

अंबरनाथ, 23 अक्टूबर 2025: पश्चिम अंबरनाथ के शंकर हाइट्स इलाके में रहने वाले 22 वर्षीय युवक अमन राजकुमार कोरी की रेबीज़ संक्रमण से मौत हो गई। तीन महीने पहले एक आवारा कुत्ते के काटने को मामूली चोट समझकर अमन ने न केवल परिवार से इसे छिपा लिया, बल्कि सिर्फ एक इंजेक्शन लेने तक सीमित रखा। लेकिन अब, परिवार और स्थानीय निवासियों का गुस्सा शहर में बढ़ती आवारा कुत्तों की समस्या पर केंद्रित है, जिसे नगर परिषद की लापरवाही का नतीजा बताया जा रहा है।
घटना की शुरुआत जुलाई में हुई, जब अमन को शिवाजी मार्केट के पास एक आवारा कुत्ते ने काट लिया। युवक ने इसे हल्के में लिया और बिना पूर्ण एंटी-रेबीज़ वैक्सीनेशन के घर लौट आए। कुछ हफ्तों बाद उनके स्वास्थ्य में गिरावट आने लगी—सिरदर्द, बुखार और धीरे-धीरे लकवा जैसे लक्षण उभरने लगे। परिवार ने सबसे पहले हैदराबाद में उनका इलाज कराया, लेकिन स्थिति बिगड़ने पर उन्हें अंबरनाथ के बी.जी. छाया अस्पताल में भर्ती किया गया। यहां डॉक्टरों ने रेबीज़ की पुष्टि की, जो एक घातक वायरल बीमारी है और कुत्ते के काटने से फैलती है।
अंतिम उम्मीद के साथ अमन को मुंबई के कस्तूरबा अस्पताल रेफर किया गया, लेकिन 16 अक्टूबर को इलाज के दौरान उनकी सांसें थम गईं। रेबीज़ एक ऐसी बीमारी है, जिसमें समय पर वैक्सीन न लेने पर मृत्यु दर लगभग 100 प्रतिशत होती है। अमन के पिता राजकुमार कोरी ने दर्द भरी आवाज में कहा, “हमें बिल्कुल अंदाजा नहीं था कि उसे कुत्ते ने काटा था। काश उसने हमें पहले बता दिया होता, या नगर निगम ने आवारा कुत्तों की इस समस्या को गंभीरता से लिया होता, तो आज मेरा बेटा हमारे साथ होता।”
यह घटना अंबरनाथ में आवारा कुत्तों की बढ़ती संख्या को लेकर निवासियों के आक्रोश को हवा दे रही है। स्थानीय लोग नगर परिषद पर नसबंदी (स्टेरलाइजेशन) अभियान को पूरी तरह विफल बताते हुए आरोप लगा रहे हैं कि इससे कुत्तों की आबादी पर कोई असर नहीं पड़ा। “लगभग हर हफ्ते किसी न किसी को कुत्ता काट लेता है, लेकिन अधिकारी तभी जागते हैं जब कोई त्रासदी हो जाती है,” स्थानीय निवासी प्रशांत नकवी ने अपनी नाराजगी जाहिर की। उनका कहना है कि शहर के बाजारों, गलियों और पार्कों में आवारा कुत्तों का आतंक आम हो गया है, जो बच्चों और बुजुर्गों के लिए खतरा बन चुका है।
अंबरनाथ नगर परिषद के अधिकारियों ने अभी तक इस मामले पर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है, लेकिन पिछले आंकड़ों के अनुसार, शहर में आवारा कुत्तों की संख्या में वृद्धि हुई है। विशेषज्ञों का मानना है कि रेबीज़ जैसी बीमारियों से बचाव के लिए न केवल तत्काल वैक्सीनेशन जरूरी है, बल्कि कुत्तों की नसबंदी, टीकाकरण और पुनर्वास पर प्रभावी अभियान चलाना अनिवार्य है।
इस दुखद घटना के बाद अंबरनाथ के नागरिकों ने नगर निगम के खिलाफ प्रदर्शन की चेतावनी दी है। वे मांग कर रहे हैं कि आवारा कुत्तों की तुरंत और बड़े पैमाने पर नसबंदी व पुनर्वास कार्यक्रम शुरू किया जाए, ताकि ऐसी त्रासदियां दोबारा न हों। अमन की मौत न केवल एक परिवार का नुकसान है, बल्कि पूरे समुदाय के लिए एक चेतावनी—जागरूकता और जिम्मेदारी की कमी घातक साबित हो सकती है।




