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बच्ची की लाश पॉलीथीन में लेकर 90 किलोमीटर पैदल चला पिता, अस्पताल की बेरुखी पर उठा सवाल

जागरूक मुंबई न्यूज़

बच्ची की लाश पॉलीथीन में लेकर 90 किलोमीटर पैदल चला पिता, अस्पताल की बेरुखी पर उठा सवाल

मुंबई – समाज को झकझोर देने वाला एक मार्मिक दृश्य हाल ही में सामने आया, जब एक पिता अपनी मृत नवजात बच्ची के शव को प्लास्टिक की थैली में लेकर 90 किलोमीटर की यात्रा करता नजर आया। आंखों में आंसू, चेहरे पर ग़म और हाथ में लटकी पॉलीथीन — यह मंजर किसी के भी दिल को चीर देने वाला था।

घटना तब सामने आई जब लोगों ने देखा कि एक व्यक्ति बस और पैदल यात्रा करते हुए एक पॉलीथीन थैली को संभाले हुए है। लोगों को शुरुआत में लगा कि उसमें कोई साधारण सामान होगा, लेकिन सच्चाई सामने आने पर हर कोई स्तब्ध रह गया। उस थैली में उस पिता की नवजात बच्ची का शव था, जिसकी मौत जन्म के तुरंत बाद हो गई थी।

मिली जानकारी के अनुसार, बच्ची का जन्म एक सरकारी अस्पताल में हुआ था, लेकिन गंभीर चिकित्सकीय लापरवाही और संसाधनों की कमी के कारण वह जीवित नहीं बच सकी। दुख की बात यह रही कि अस्पताल प्रशासन ने शव को गांव ले जाने के लिए पिता को एंबुलेंस देने से इनकार कर दिया।

पिता ने प्राइवेट एंबुलेंस किराए पर लेने की कोशिश की, लेकिन आर्थिक तंगी के कारण यह संभव नहीं हो पाया। अंततः, उसने अपनी बच्ची के शव को एक प्लास्टिक की थैली में रखा और बस व पैदल यात्रा करके करीब 90 किलोमीटर दूर स्थित अपने गांव पहुंचा।

इस घटना ने स्वास्थ्य व्यवस्था और सरकारी अस्पतालों की संवेदनहीनता पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। सवाल यह है कि क्या गरीब व्यक्ति की पीड़ा की कोई कीमत नहीं होती? क्या एक बाप को अपनी बच्ची की लाश ऐसे लेकर जाना पड़ेगा, जबकि सरकारें “सर्वजन स्वास्थ्य” और “सर्वोत्तम सुविधा” के दावे करती हैं?

इस दर्दनाक घटना को लेकर सोशल मीडिया पर भी भारी आक्रोश देखा जा रहा है। लोग अस्पताल प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग से कठोर कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।

निष्कर्ष:

जहां एक पिता का दुःख और समाज की संवेदनहीनता आमने-सामने खड़ी है, वहां यह घटना एक आईना बनकर सामने आई है — जो यह दिखा रही है कि अभी भी हमारे देश की स्वास्थ्य प्रणाली में करुणा से ज़्यादा व्यवस्था की कमी है ।

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