
जागरूक मुंबई
स्थान: बांद्रा (पूर्व), मुंबई
बांद्रा स्टेशन (पूर्व) पर रिक्शा चालकों की गुंडागर्दी से महिला यात्री परेशान, शिकायतों का अंबार
बांद्रा स्टेशन के पूर्वी हिस्से में ऑटो रिक्शा चालकों की मनमानी और अराजकता दिन-ब-दिन गंभीर रूप लेती जा रही है। खासकर महिला यात्रियों ने आरोप लगाया है कि स्टेशन से बाहर निकलते ही उन्हें जबरन रिक्शा में बैठाने की कोशिश की जाती है। कुछ रिक्शा चालक तो स्टेशन की सीढ़ियों तक पहुंच जाते हैं और जोर-जोर से चिल्लाकर यात्रियों को डराने या जबरन खींचकर रिक्शा में बैठाने की कोशिश करते हैं, जिससे महिला यात्रियों को मानसिक और शारीरिक रूप से भारी असुविधा का सामना करना पड़ता है।
स्थानीय नागरिकों और यात्रियों के अनुसार, बांद्रा ईस्ट क्षेत्र में बांद्रा कोर्ट, म्हाडा कार्यालय, जिला कलेक्टर कार्यालय, फैमिली कोर्ट, लेबर कोर्ट, इंडियन ऑयल और आयकर विभाग जैसे महत्वपूर्ण कार्यालय होने के कारण यहां यात्री संख्या अधिक रहती है। इसके अलावा, बीकेसी (BKC) क्षेत्र में कई प्रमुख बैंकों और कॉर्पोरेट दफ्तरों के मुख्यालय होने से यहां रोज़ाना हजारों की संख्या में लोग यात्रा करते हैं।
सुबह और शाम के व्यस्त समय में न सिर्फ भारी ट्रैफिक जाम की समस्या उत्पन्न होती है, बल्कि रिक्शा चालकों की गुंडागर्दी भी सिर चढ़कर बोलती है। महिला यात्रियों ने बताया कि जब वे रिक्शा न लेना चाहें तो भी कुछ चालक उनका रास्ता रोकते हैं, डराते हैं और गलत भाषा का प्रयोग करते हैं। कुछ महिलाएं तो ऐसी घटनाओं से इतना असहज महसूस करती हैं कि सार्वजनिक परिवहन का विकल्प चुनने से भी डरने लगी हैं।
इसके अलावा, एक और बड़ी समस्या यह है कि स्थानीय रिक्शा चालक मीटर से चलने को तैयार नहीं होते। वे गवर्नमेंट कॉलोनी, निर्मल नगर, जवाहर नगर जैसे इलाकों तक जाने से साफ इनकार कर देते हैं। इस कारण यात्रियों को या तो लंबा पैदल सफर करना पड़ता है या वैकल्पिक और महंगे साधनों की तलाश करनी पड़ती है।
प्रशासन से मांग:
स्थानीय नागरिकों और खासकर महिला यात्रियों ने मुंबई पुलिस और आरटीओ से इस मामले में सख्त कार्रवाई की मांग की है। उनका कहना है कि स्टेशन क्षेत्र में ट्रैफिक नियंत्रण और महिला सुरक्षा के लिए अतिरिक्त पुलिस बल की तैनाती होनी चाहिए और उन रिक्शा चालकों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए जो कानून तोड़ते हैं या महिलाओं के साथ बदसलूकी करते हैं।
क्या कहता है कानून:
बिना मीटर के चलना, तय रूट से मना करना और जबरदस्ती सवारी बैठाना मोटर वाहन अधिनियम के तहत दंडनीय अपराध हैं। लेकिन स्थानीय स्तर पर इन नियमों का पालन न होना प्रशासनिक उदासीनता को दर्शाता है।
रिपोर्टर: जागरूक मुंबई संवाददाता
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