
माटुंगा स्टेशन फुटपाथ अतिक्रमण: बीएमसी की कार्रवाई फिर विफल, फूल विक्रेताओं का दबदबा बरकरार
मुंबई: बार-बार की गई कार्रवाई के बावजूद, माटुंगा मध्य रेलवे स्टेशन के बाहर फुटपाथ से फेरीवालों, खासकर फूल विक्रेताओं को हटाने में बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) एक बार फिर नाकाम रही है। भंडारकर रोड और तेलंग रोड पर स्टॉल्स को हटाने की मार्च में हुई कार्रवाई के बाद एफ-नॉर्थ वार्ड ने पिछले सप्ताह एक और अभियान चलाया, लेकिन स्थानीय अधिकारियों के अनुसार, अगले ही दिन फेरीवालों ने दोबारा अपना धंधा शुरू कर दिया।
एफ-नॉर्थ वार्ड के एक अधिकारी ने बताया, “मार्च जैसी कोई बड़ी कार्रवाई नहीं हुई, लेकिन हमारी नियमित कार्रवाई के तहत स्टॉल्स हटाए गए थे। लेकिन अगले ही दिन फेरीवालों ने वापसी कर ली।”
8 मार्च को एक रिपोर्ट में एफपीजे ने बताया था कि बीएमसी ने 52 स्टॉल्स को सुबह बुलडोज़ किया था, लेकिन शाम तक सभी विक्रेता फिर से व्यवसाय में लग गए थे। जब बीएमसी की टीम अगली सुबह दोबारा पहुंची, तो फेरीवालों ने मशीनों के आगे बैठकर कार्यवाही को रोक दिया।
राजनीतिक समर्थन और प्रशासनिक उदासीनता
निवासियों का आरोप है कि फूल विक्रेताओं को राजनीतिक संरक्षण प्राप्त है, खासकर भाजपा विधायक तमिल सेल्वन का समर्थन, जिसकी वजह से बीएमसी भी सख्त कार्रवाई करने से बचती है। हालांकि, सेल्वन ने पहले कहा था कि फूल दुकानदारों के पास वैध लाइसेंस हैं और बीएमसी की विध्वंस कार्रवाई अनुचित है।
स्थानीय कार्यकर्ता चेतन त्रिवेदी ने कहा, “फेरीवालों ने पूरे माटुंगा क्षेत्र में अतिक्रमण कर लिया है। एनएल रोड, तेलंग रोड, भंडारकर रोड पर अब कपड़ों और सब्जियों के अवैध स्टॉल्स भी बढ़ते जा रहे हैं। शिकायतों के बावजूद वर्तमान सहायक नगर आयुक्त बैठक के लिए तैयार नहीं हैं।”
अवैध निर्माण और सुविधाओं का दुरुपयोग
सूत्रों के अनुसार, कई फूल दुकानदारों ने फुटपाथ पर अपने स्टॉल का विस्तार कर एक मंजिल जोड़ ली है और कुछ ने अवैध रूप से पानी के कनेक्शन भी ले रखे हैं। बीएमसी का कहना है कि कुछ दुकानदारों के पास वैध लाइसेंस हैं, लेकिन अधिकांश अतिक्रमण अनधिकृत हैं।
सहायक आयुक्त मौन, निगरानी के लिए नए कदम
बार-बार प्रयासों के बावजूद एफ-नॉर्थ के सहायक नगर आयुक्त अरुण क्षिरसागर से संपर्क नहीं हो सका। इस बीच बीएमसी सार्वजनिक शौचालयों की निगरानी के लिए संविदा पर सामुदायिक विकास अधिकारियों की नियुक्ति की योजना बना रही है, जिससे नगर सेवाओं की निगरानी और जवाबदेही बेहतर हो सके।
निष्कर्ष: माटुंगा में फुटपाथ अतिक्रमण का मुद्दा केवल प्रशासनिक विफलता ही नहीं, बल्कि राजनीतिक हस्तक्षेप और सामाजिक असंतुलन का उदाहरण बनता जा रहा है। जब तक प्रशासन ठोस और सतत कार्रवाई नहीं करता, यह समस्या बनी रहेगी।